
बलरामपुर@.जिले के कुसमीविकासखंड के घुटराडीह गांव से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने पूरे क्षेत्र को दहला दिया है। अंधविश्वास और जादूटोने के शक ने एक 60 वर्षीय महिला की जान ले ली। समाज में फैले इस भ्रम का परिणाम एक मासूम जिंदगी की मौत के रूप में सामने आया है।
घटना शक ने लिया खौफनाक रूप
कुसमी थाना क्षेत्र के ग्राम घुटराडीह में 26 वर्षीय सीता पति लालमोहन ने गांव की ही 60 वर्षीय चंद्रकाली पर हमला कर दिया। टांगी से गला काटकर की गई यह वारदात इतनी निर्मम थी कि देखने वालों के होश उड़ गए।घटना के बाद पूरे गांव में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों के मुताबिक, महिला की चीख तक किसी ने नहीं सुनी। सब कुछ मात्र कुछ ही मिनटों में खत्म हो गया।
वजह… बच्चों की मौत को जादूटोने से जोड़ बैठी महिला

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आरोपी सीता के छः बच्चे थे, जिनमें से चार बच्चों की मौत रहस्यमय परिस्थितियों में हो चुकी थी।उसका एक बच्चा इस समय कुपोषण से गंभीर रूप से जूझ रहा है।
इन्हीं घटनाओं से मानसिक रूप से टूट चुकी सीता को शक हो गया कि चंद्रकाली उसके बच्चों पर तंत्र-मंत्र कर रही है।अंधविश्वास ने गुस्से को हिंसा में बदल दिया और हत्या हो गई।
मृतका कौन थी? – गांव की शांत महिला
गांव के लोग बताते हैं कि चंद्रकाली बेहद सरल और शांत स्वभाव की महिला थी।
वह खेतों और घर के काम में जिंदगी बिताती थी।
कभी किसी से विवाद नहीं लेकिन अंधविश्वास ने उसकी पूरी ज़िंदगी छीन ली।
गांव में दहशत और सदमे की लहर
घटना के बाद गांव में अफरातफरी फैल गई।
कोई विश्वास नहीं कर पा रहा कि तंत्र-मंत्र के शक में ऐसी दर्दनाक हत्या हो सकती है।सरपंच ने बताया हमने पुलिस को तुरंत जानकारी दी। इतनी निर्मम हत्या पहले कभी नहीं देखी।परिजन भी सदमे में हैं। गांव में भय और अविश्वास का माहौल है।
पुलिस की कार्रवाई आरोपी गिरफ्तार
सूचना मिलते ही कुसमी थाना पुलिस मौके पर पहुंची।
शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया घटनास्थल से हथियार बरामद आरोपी सीता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया मामले में धारा 302 के तहत अपराध दर्ज पुलिस का कहना है कि मानसिक स्थिति, पारिवारिक परिस्थितियाँ और अंधविश्वास तीनों आरोपी के व्यवहार को प्रभावित कर रहे थे।
तंत्र-मंत्र का डर क्यों गहरा है ग्रामीण इलाकों में?
ग्रामीण अंचल में बीमारी, बच्चों की मृत्यु, पशुओं की मौत जैसी घटनाओं को अक्सर जादूटोना से जोड़ दिया जाता है।
स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, जागरूकता का अभाव और सामाजिक मिथक अक्सर हिंसा का कारण बनते है
अंधविश्वास की कीमत एक और जान
घुटराडीह की यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि समाज के उस खतरे की याद दिलाती है जिसमें अंधविश्वास और डर इंसान से इंसान को मारने पर मजबूर कर देता है।जरूरत है शिक्षा, जागरूकता और स्वास्थ्य सुविधाओं कीताकि कोई और मासूम, जादू-टोने के भय का शिकार न बने।
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