पवई फॉल — प्रकृति की गोद में लटका स्वर्ग, जो अब दर्द में कराह रहा है
100 फीट ऊंचाई से गिरता झरना बनता है आकर्षण का केंद्र, लेकिन सफाई, सुरक्षा और पुलिया की कमी ने बिगाड़ी तस्वीर

100 फीट ऊंचाई से गिरता झरना मन मोह लेता है, लेकिन गंदगी, असुरक्षा और अनदेखी ने बिगाड़ी इसकी खूबसूरत
🌿बलरामपुर जिले के सेमरसोत अभयारण्य के बीचों-बीच, पहाड़ों और जंगलों से घिरा पवई वाटर फॉल प्रकृति की ऐसी अद्भुत रचना है, जो पहली नज़र में किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता। चनान नदी की धाराएं जब 100 फीट की ऊंचाई से गिरती हैं, तो उस आवाज़ में प्रकृति की शक्ति और सौंदर्य दोनों की झलक मिलती है।
लेकिन इस झरने की यह खूबसूरती अब धीरे-धीरे गुम होती जा रही है। यहाँ तक पहुँचने वाला हर सैलानी एक ही बात कहता है — “यह जगह जितनी सुंदर है, उतनी ही उपेक्षित भी।
कठिन सफर, जोखिम भरा रास्ता:
बलरामपुर से जमुआटाड़ होते हुए बुधुडिह गांव तक तो वाहन से पहुंचा जा सकता है, लेकिन उसके आगे करीब दो से तिन किलोमीटर का रास्ता पैदल तय करना पड़ता है। यह रास्ता ऊबड़-खाबड़ और फिसलन भरा है।
बरसात के दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है। नदी पर कोई पुल नहीं है — पानी बढ़ते ही रास्ता बंद हो जाता है। सैलानियों को गहरे पानी में उतरकर या पत्थरों पर चलते हुए पार करना पड़ता है। कई बार यह रोमांच जानलेवा भी साबित हो चुका है।
स्थानीय ग्रामीण बताते हैं..कई सालों से पुलिया बनाने की मांग कर रहे हैं, पर सुनवाई नहीं हो रही। बरसात में यहाँ मौत को दावत देकर ही लोग आते हैं।
प्रकृति की सुंदरता, पर कोई देखभाल नहीं:
चारों ओर फैले घने पेड़, पहाड़ियों से गिरता झरना, पक्षियों की आवाज़ें — सब मिलकर ऐसा दृश्य बनाते हैं कि यहाँ आने वाला हर व्यक्ति मंत्रमुग्ध हो जाता है। लेकिन झरने के पास पहुंचते ही यह जादू गंदगी में खो जाता है।
प्रतीक्षालय के अंदर कचरा बिखरा पड़ा है। दीवारों पर असामाजिक तत्वों ने गलत और अभद्र टिप्पणियाँ लिख रखी हैं। न सफाई की व्यवस्था है, न सुरक्षा का कोई इंतज़ाम।
स्थानीयों का कहना है —यहाँ गाइड, सुरक्षा कोई मौजूदगी नहीं रहती। शाम होते ही इलाका डरावना लगने लगता है।”
प्रशासन की अनदेखी:कई बार शिकायतें और मांगें की गईं — “पुल बनाया जाए, सफाई रखी जाए, असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई हो।” लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता ने पवई फॉल को सिर्फ एक “नाम मात्र का पर्यटन स्थल” बनाकर छोड़ दिया है।
आज भी यहाँ न साफ-सफाई है, सैलानी अपने साथ लाए प्लास्टिक और खाने-पीने का सामान वहीं फेंक जाते हैं। धीरे-धीरे यह जगह प्रदूषण का शिकार बन रही है।
सैलानियों का दर्द:
कई पर्यटक इस जगह को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं, लेकिन हर पोस्ट में एक शिकायत जरूर होती है — “इतनी खूबसूरत जगह को इस हालत में छोड़ देना अन्याय है।”
जाने क्या कह रहे शैलानीयां
“अगर थोड़ा ध्यान दिया जाए, तो यह छत्तीसगढ़ का सबसे खूबसूरत झरना बन सकता है। लेकिन अभी यह दर्द में डूबा है, जैसे कोई रत्न धूल में पड़ा हो।”
प्रकृति रो रही है
बरसात के मौसम में जब फॉल की धाराएं पूरी ताकत से गिरती हैं, तो उसकी गूंज पूरे जंगल में फैल जाती है। वह आवाज़ किसी संगीत जैसी , गुंजती है
पवई फॉल सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि प्रकृति की आत्मा का हिस्सा है। लेकिन प्रशासन की अनदेखी, असामाजिक तत्वों की हरकतें और सफाई की कमी ने इस सौंदर्य को चोट पहुँचाई है।
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