मुख्यमंत्री शहरी स्वास्थ्य स्लम योजना की लाखों की दवाइयां छत पर सड़ गईं, स्वास्थ्य सेवाओं पर उठे सवाल
नगर पालिका की बड़ी लापरवाही कार्यशैली पर उठे सवाल?

बलरामपुर।नगर पालिका बलरामपुर एक बार फिर लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण सुर्खियों में है। ताज़ा मामला बेहद चौंकाने वाला है—नगर पालिका की छत पर मुख्यमंत्री शहरी स्वास्थ्य स्लम योजना के अंतर्गत खरीदी गई लाखों रुपये की दवाइयों से भरे कार्टून सड़ते और एक्सपायर हालत में मिले हैं।
मरीजों तक नहीं पहुंचीं ज़रूरी दवाइयां
इन दवाइयों को योजना के तहत एम्बुलेंस सेवाओं के माध्यम से ज़रूरतमंद मरीजों तक पहुंचाया जाना था। लेकिन अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही के चलते दवाइयां समय पर उपयोग नहीं हो सकीं और अब बेकार हो चुकी हैं।
लापरवाही या सुनियोजित घोटाला?
नगर पालिका के सीएमओ प्रणव कुमार राय पर आरोप है कि दवाइयों की खरीद जरूरत से कहीं अधिक मात्रा में की गई। सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह खरीद केवल बिल बढ़ाने और कमीशनखोरी के लिए की गई थी? यह मामला केवल लापरवाही नहीं बल्कि सुनियोजित घोटाले की ओर इशारा करता है।
मरीज परेशान, सरकारी धन की बर्बादी
जहां एक ओर मरीज सरकारी अस्पतालों में दवाइयों के अभाव में परेशान रहते हैं, वहीं दूसरी ओर लाखों की दवाइयां छत पर सड़कर बर्बाद हो रही हैं। यह घटना न केवल सरकारी धन की बर्बादी है, बल्कि आम जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ का बड़ा उदाहरण है।
सीएमओ का पल्ला झाड़ना
मामले पर सफाई देते हुए सीएमओ प्रणव कुमार राय ने कहा—“ये दवाइयां मेरे जॉइनिंग से पहले की हैं। करीब तीन साल से छत पर पड़ी हैं और बिना ऑडिट के इन्हें नष्ट नहीं किया जा सकता। संबंधित विभाग को जानकारी दे दी गई है, ऑडिट के बाद ही डिस्पोजल होगा।”
लेकिन दवाइयों पर अंकित एक्सपायरी डेट यह साबित करती है कि कई दवाइयां हाल ही में एक्सपायर हुई हैं। सवाल यह उठता है कि अगर ये तीन साल से पड़ी थीं तो कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
बड़ा सवाल
आखिर जिम्मेदारी किसकी है?
लाखों की दवाइयां बर्बाद करने वालों पर कार्रवाई होगी या मामला फाइलों में ही दब जाएगा?
क्या यह केवल लापरवाही है या फिर सुनियोजित भ्रष्टाचार का हिस्सा?
यह मामला न केवल नगर पालिका की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की जवाबदेही और पारदर्शिता पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न छोड़ता है।
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