पत्रकार से मारपीट व झूठे केस पर प्रधानमंत्री को शिकायत — छत्तीसगढ़ जनसंपर्क अधिकारी पर लगे गंभीर आरोप

बलरामपुर:-
छत्तीसगढ़ सद्भावना पत्रकार संघ की कुसमी इकाई ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को एक विस्तृत ज्ञापन भेजकर जनसंपर्क संचालनालय के अपर संचालक श्री संजीव तिवारी के विरुद्ध निष्पक्ष जांच एवं दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है।
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📌 क्या है मामला
पत्रकार संगठनों द्वारा भेजे गए ज्ञापन के अनुसार,
दिनांक 07 अक्टूबर 2025 को “बुलंद छत्तीसगढ़” समाचार पत्र में “जनसंपर्क विभाग का अमर सपूत” शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में श्री संजीव तिवारी के दो दशकों से अधिक समय से एक ही पदस्थापना पर बने रहने का उल्लेख किया गया था।
अगले ही दिन, 08 अक्टूबर 2025, संवाद कार्यालय पहुँचने पर समाचार पत्र के प्रतिनिधि अभय शाह के साथ श्री तिवारी ने कथित रूप से अभद्र व्यवहार किया।
इसके बाद, 09 अक्टूबर 2025 को जब पत्रकार अभय शाह अपने सहयोगियों के साथ स्पष्टीकरण हेतु संवाद कार्यालय पहुँचे, तब विवाद बढ़ गया।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में श्री तिवारी को पत्रकार अभय शाह के साथ शारीरिक झड़प करते और कॉलर पकड़कर गला दबाने का प्रयास करते स्पष्ट देखा जा सकता है।
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⚖️ झूठी एफआईआर और पुलिस कार्रवाई पर सवाल
पत्रकार संगठनों ने आरोप लगाया है कि घटना के बाद श्री तिवारी ने अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए चार अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध झूठी एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें कई गंभीर धाराएँ जोड़ी गईं।
एफआईआर (अपराध क्रमांक 0165/2025) में सार्वजनिक संपत्ति नुक़सान निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3(2) तथा भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धाराएँ 132, 221, 296, 3(5), 324(4) और 351(2) शामिल की गई हैं।
मगर ज्ञापन में कहा गया है कि —
“इन सभी धाराओं में सात वर्ष से अधिक दंड का प्रावधान नहीं है, इसलिए गिरफ्तारी आवश्यक नहीं थी। पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के Arnesh Kumar बनाम बिहार राज्य (2014) और D.K. Basu बनाम पश्चिम बंगाल राज्य (1997) जैसे ऐतिहासिक फैसलों का उल्लंघन किया है।”
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🕛 रात में पुलिस की ‘कार्रवाई’ पर सवाल
पत्रकार मनोज पांडे के घर में रात 1:37 बजे पुलिस द्वारा जबरन प्रवेश, गेट तोड़ने, कैमरा और डीवीआर कब्जे में लेने की घटना को लेकर भी गंभीर आपत्ति जताई गई है।
ज्ञापन में कहा गया है कि यह कार्यवाही न केवल गैरकानूनी है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन भी है।
पत्रकार संगठन ने आरोप लगाया है कि महिला पुलिसकर्मी की अनुपस्थिति में घर में प्रवेश, परिवार को डराना और महिला सदस्यों से अभद्रता — भा.दं.सं. की धाराएँ 452 और 354 के तहत गंभीर अपराध है।
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📑 प्रधानमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में प्रमुख माँगें
1. श्री संजीव तिवारी के विरुद्ध धारा 352, 166, 166A, 307 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए।
2. उनके विरुद्ध सिविल सेवा आचरण नियमावली, 1964 के अंतर्गत विभागीय जाँच और निलंबन की कार्यवाही की जाए।
3. पुलिस की विधिविरुद्ध कार्यवाही पर संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध धारा 324, 452, 354 भा.दं.सं. के तहत मामला दर्ज किया जाए।
4. जनसंपर्क विभाग की विज्ञापन वितरण प्रणाली की उच्चस्तरीय, निष्पक्ष जाँच समिति गठित की जाए।
5. शासन यह सुनिश्चित करे कि किसी भी अधिकारी को स्थानांतरण अवधि से अधिक समय तक एक ही पद पर न रखा जाए, ताकि administrative monopoly समाप्त हो सके।
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💬 पत्रकार संगठनों की टिप्पणी
मीडिया सम्मान परिवार और सद्भावना पत्रकार संघ ने कहा —
“यह केवल एक पत्रकार पर हमला नहीं, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा प्रहार है। यदि शासन निष्पक्ष कार्रवाई नहीं करता, तो यह संदेश जाएगा कि शक्ति कानून से ऊपर है।”
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📎 प्रतिलिपियाँ भेजी गईं
ज्ञापन की प्रतिलिपि प्रधानमंत्री कार्यालय के अलावा गृह मंत्री, मुख्यमंत्री, गृह मंत्रालय (छत्तीसगढ़), पुलिस महानिदेशक और रायपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी भेजी गई है।
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