विश्व आदिवासी दिवस न मनाना उपेक्षा नहीं, आदिवासी समाज का अपमान बसंत कुजूर..
संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित दिवस का उद्देश्य मूल निवासियों की अस्मिता और अधिकारों की रक्षा

बलरामपुर छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज बलरामपुर के जिला अध्यक्ष बसंत कुजूर ने विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन के रवैया पर कड़ा आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 9 अगस्त विश्व मूल निवासी आदिवासी दिवस को घोषित इस दिवस का उद्देश्य दुनियां भर के मूल निवासीयों की अस्मिता, अधिकार और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करना है।भारत में भी इसे हर वर्ष बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन इस वर्ष न तो केन्द्र और न ही प्रदेश स्तर पर कोई कार्यक्रम आयोजन किया गया। कुजूर ने आरोप लगाया है कि भारत के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री दोनों ही आदिवासी समुदाय से होने के बावजूद इस वर्ष आदिवासी एवं मूल निवासीयों के लिए कोई संदेश जारी ना करना तो दूर है, बधाई देना भी उचित नहीं समझें,उनका कहना है कि यह केवल उपेक्षा नहीं, बल्कि आदिवासी समाज का सीधा बड़ा अपमान है, और इसमें समाज में उपेक्षित होने कि भावना और गहरी चिंता हो रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुखिया आदिवासी समुदाय के मंत्री और अन्य जनप्रतिनिधि इस दिवस के संदर्भ में कोई औपचारिक भूमिका नहीं निभा पाए यह प्रदेश सरकार की आदिवासी समाज के प्रति दोहरी मानसिकता को उजागर करता हैं।
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