स्थानीय नीति से पहले पेसा नीति जरूरी : बसंत कुजूर
परंपरा ही असली विरासत – बसंत कुजूर

बलरामपुर। जिले के राजपुर में शुक्रवार को सरगुजा संभाग बचाओ अभियान का भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सरगुजा संभाग के विभिन्न जिलों और ग्रामों से बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग, सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी और स्थानीय प्रतिनिधि उपस्थित रहे। आयोजन स्थल पर लोगों का उत्साह देखने लायक था। मंच से वक्ताओं ने सरगुजा की परंपरा, संस्कृति और पहचान को बचाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष बसंत कुजूर ने इस अभियान को पूर्ण समर्थन देते हुए कहा –“हमारी परंपरा ही हमारी असली विरासत है। अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले विभिन्न जनजातीय समुदायों की संस्कृति, धरोहर, लोकगीत, त्योहार और पूजा-पद्धति ही हमारी असली पहचान हैं। अगर इनका संरक्षण और संवर्धन नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ियाँ अपनी जड़ों से कट जाएंगी।”
उन्होंने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों के लोगों की पहचान और अधिकारों की रक्षा के लिए केवल स्थानीय नीति काफी नहीं है। उससे भी ज्यादा जरूरी है कि समाज का हर वर्ग पेसा नीति (PESA Act) को समझे और अपनाए।
पेसा कानून पर प्रशिक्षण शिविर की जरूरत
कुजूर ने अपने संबोधन में कहा कि –
स्थानीय नीति से पहले पेसा कानून पर आधारित प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन जरूरी है।
इन शिविरों में ग्रामीणों को ग्राम सभा की शक्तियों, सामुदायिक संसाधनों पर अधिकार, परंपरा के संरक्षण और पेसा कानून के मूल उद्देश्य की जानकारी दी जानी चाहिए।
जब तक गांव का आम नागरिक अपने अधिकारों को नहीं जानेगा, तब तक किसी भी नीति का सफल क्रियान्वयन संभव नहीं है।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा –आज समय आ गया है कि समाज के लोग सिर्फ जागरूक ही न हों, बल्कि अपने अधिकारों और परंपराओं की रक्षा के लिए एकजुट भी हों। तभी स्थानीय नीति को हम सब मजबूती से लागू करवाने में सफल हो पाएंगे।”संस्कृति और परंपरा बचाना सामूहिक जिम्मेदारी
- कार्यक्रम में मौजूद अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि –सरगुजा संभाग की समृद्ध संस्कृति, रीति-रिवाज और परंपराएँ केवल यहां के आदिवासी समाज की धरोहर नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ की पहचान हैं।अगर परंपरा और संस्कृति कमजोर होती है तो समाज की जड़ें हिल जाती हैं।इस विरासत को बचाए रखना हर नागरिक की सामूहिक जिम्मेदारी है।आयोजन में उमड़ा जनसैलाब
इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। ग्रामीणों, महिलाओं और युवाओं ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई। पूरे कार्यक्रम में सरगुजा संभाग की एकता और परंपरा की रक्षा का संकल्प दिखाई दिय
“बसंत कुजूर का बड़ा बयान : स्थानीय नीति से पहले पेसा नीति जरूरी”सरगुजा संभाग बचाओ अभियान : संस्कृति और परंपरा की रक्षा का आह्वान”
“पेसा कानून पर जागरूकता से ही सफल होगी स्थानीय नीति – बसंत कुजूर”
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