कोरवा जनजाति के ग्रामीण की संदिग्ध मौत, वन विभाग की दबंगई से आक्रोश – घंटों चक्का जाम
वन विभाग की धमकियों और दबाव से मानसिक तनाव में आया ग्रामीण

बलरामपुर-रामानुजगंज। जिले के रामचंद्रपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम रेवतीपुर में रविवार शाम को घटित एक हृदयविदारक घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। कोरवा जनजाति 50 वर्षीय बिफन कोरवा पिता रामधनी कोरवा की अचानक मौत के बाद गांव में मातम का माहौल है। ग्रामीणों एवं स्वजनों ने आरोप लगाया है कि वन विभाग की लगातार दबंगई और घर खाली कराने की जबरन कार्रवाई से उत्पन्न तनाव ही उसकी मौत का कारण बनी है।
स्वजनों ने बताया कि बीते पांच दिनों से वन विभाग की टीम गांव ग्रामीणों को जबरन घरों के जप्तीनामा पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया जा रहा था। यहां तक कि फोटो खींचकर घर गिराने की धमकियां भी दी जा रही थीं। इस दबाव और भय के चलते बिफन कोरवा मानसिक तनाव में आ गया था। बताया जाता है कि उसने कई दिनों से भोजन तक करना छोड़ दिया था। रविवार को उसने पानी पिया और जैसे ही चलने लगा अचानक गिर पड़ा, जिससे मौके पर ही उसकी मृत्यु हो गई।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया की वन विभाग की धमकियों से टूटा मनोबल
ग्रामीणों ने स्पष्ट आरोप लगाया है कि वन विभाग के इस अमानवीय रवैये ने बिफन कोरवा को तोड़ दिया। “घर उजड़ने के डर और अफसरों की दबंगई ने उसकी जान ले ली यही गांव के लोगों की पीड़ा है। ग्रामीणों का कहना है कि विभाग द्वारा गरीब व असहाय जनजातीय परिवारों को भयभीत कर उनके सिर से छत छीनने की साजिश रची जा रही है।
मुख्य मार्ग पर घंटों जाम, प्रशासन के खिलाफ फूटा गुस्सा
ग्रामीणों और परिजनों ने मृतक के शव के साथ सोमवार सुबह रामचंद्रपुर–सनावल मुख्य मार्ग पर चक्का जाम कर प्रशासन और वन विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। यह विरोध प्रदर्शन लगभग पूरे 3 घंटे तक चला। मार्ग अवरुद्ध होने से आमजन भी परेशान रहे। मौके पर एसडीओपी बाजीलाल सिंह पुलिस बल के साथ पहुंचे और लोगों को समझाइश दी। उन्होंने निष्पक्ष जांच एवं कार्रवाई का भरोसा दिलाया, जिसके बाद जाम हट सका।
पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया शव पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम हेतु 100 बिस्तर अस्पताल, रामानुजगंज भेज दिया। हालांकि ग्रामीणों में अब भी आक्रोश है कि कहीं यह मामला भी कागजों में दबकर रह न जाए। लोगों का कहना है कि वन विभाग की मनमानी और भय दिखाकर घर तोड़ने की साजिश पर अब प्रशासन को कठोर रुख अपनाना ही होगा, अन्यथा ऐसे हादसे बार-बार घटते रहेंगे
यह घटना एक बार फिर वन विभाग की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा करती है। ग्रामीणों का कहना है कि विभाग गरीब और वंचितों पर अत्याचार कर रहा है, जबकि बड़े पैमाने पर अवैध कटाई और जंगल की लूट पर आंखें मूंदे बैठा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस मामले की निष्पक्ष जांच करता है या फिर यह मामला भी अन्य घटनाओं की तरह धूल फांकता रहेगा।
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