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बलरामपुर जिला अस्पताल में भोजन निविदा घोटाला! पक्षपात के आरोप, कलेक्टर से की गई शिकायत — अस्पताल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल

बलरामपुर जिला अस्पताल में भोजन निविदा घोटाला: पक्षपात के आरोप, कलेक्टर को शिकायत

बलरामपुर, 12 अक्टूबर 2025: छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के जिला चिकित्सालय में भर्ती मरीजों और जननी शिशु सुरक्षा योजना के तहत प्रसूताओं को भोजन उपलब्ध कराने की निविदा प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। एक शिकायती पत्र में दावा किया गया है कि निविदा को पूर्व नियोजित तरीके से एक विशेष महिला स्वयं सहायता समूह को लाभ पहुंचाने के लिए पक्षपातपूर्ण तरीके से आयोजित किया गया। यह पत्र जिला कलेक्टर को भेजा गया है, जिसमें निविदा को निरस्त करने और पुनः जारी करने की मांग की गई है।

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संदर्भित निविदा कार्य क्रमांक 1100, दिनांक 04 सितंबर 2025, सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक के कार्यालय द्वारा जारी की गई थी। यह निविदा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जिला चिकित्सालय में भर्ती अंत:रोगियों और प्रसूति विभाग में भर्ती महिलाओं को जलपान एवं आहार उपलब्ध कराने के लिए थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि निविदा खोलने की निर्धारित समय सीमा शाम 4 बजे की बजाय रात 8 से 11 बजे तक की गई, जिससे पूर्व निर्धारित समूह को फायदा पहुंचाया जा सके।
शिकायत में कहा गया है कि निविदा निर्धारित स्थान पर नहीं खोली गई और जिला पंचायत कार्यालय से संबंधित महिला समूहों को बिना सूचना दिए रात 11 बजे तक कार्यवाही चली। विगत तीन वर्षों से संचालित एक महिला स्वयं सहायता समूह को पुनः कार्य सौंपने के लिए यह सब पूर्व नियोजित था। निविदा प्रपत्र की कंडिका 15 में उल्लिखित तकनीकी बोली (टेक्निकल बिड) में आवश्यक दस्तावेजों की स्वयं सत्यापित प्रतियां संलग्न करनी थीं, लेकिन चयनित समूह ने इनमें से कई दस्तावेज जमा नहीं किए।
विशेष रूप से, कंडिका 15 के क्रमांक 4-5 में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के तहत वैध पंजीयन और खाद्य अनुज्ञप्ति प्रमाण-पत्र का जीवित पंजीयन अनिवार्य था। शिकायतकर्ता का दावा है कि चयनित समूह ने यह प्रमाण-पत्र संलग्न नहीं किया और विज्ञापन प्रकाशन तिथि के बाद का पंजीयन मान्य नहीं होना चाहिए। प्राप्त 21 निविदाकर्ताओं में से किसी के पास भी यह दस्तावेज नहीं था, फिर भी पूर्व नियोजित समूह को ड्रा में शामिल कर लाभ दिया गया।
शिकायत में जीवन दीप समिति के सदस्यों पर आरोप है कि उन्होंने सभी उपस्थित निविदाकर्ताओं की मांग को नजरअंदाज कर चयन किया। समिति में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ), सिविल सर्जन और अन्य सदस्य उपस्थित थे, लेकिन पूरी कार्यवाही का संचालन फार्मासिस्ट शशी गुप्ता ने किया। आरोप है कि शशी गुप्ता ने 21 निविदाओं में से 14 महिला समूहों को ईएसआई पंजीयन प्रमाण-पत्र न होने का हवाला देकर अपात्र घोषित किया, जबकि उन समूहों के पास यह दस्तावेज मौजूद था।
आगे कहा गया है कि शशी गुप्ता ने निविदा जारी होने से पहले ही चयनित समूह को कंडिका 15 में मांगे गए दस्तावेज मौखिक रूप से बनवाने में मदद की। ड्रा में शामिल सात महिला समूह और पंजीकृत फर्में एक ही व्यक्ति द्वारा संचालित हैं, जो शशी गुप्ता के रिश्तेदार हैं। यह स्पष्ट पक्षपात दर्शाता है और निविदा प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है।
शिकायतकर्ता ने कलेक्टर से मांग की है कि बिंदु 1 से 8 तक के आरोपों की जांच की जाए, वर्तमान निविदा निरस्त की जाए और शशी गुप्ता को जीवन दीप समिति से हटाकर पुनः निविदा जारी की जाए। पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन, आयुक्त सरगुजा संभाग, सीएमएचओ बलरामपुर और सिविल सर्जन को भी भेजी गई है।
यह मामला जिला प्रशासन की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी निविदाओं में ऐसी अनियमितताएं मरीजों की देखभाल को प्रभावित कर सकती हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अस्पताल में भोजन की गुणवत्ता पहले से ही खराब है और पक्षपातपूर्ण चयन से स्थिति और बिगड़ सकती है। जिला प्रशासन ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार जांच की संभावना है।

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Vijay Singh

विजय सिंह, समीक्षा न्यूज़ के मुख्य संपादक हैं। एवं वर्षों से निष्पक्ष, सत्य और जनहितकारी पत्रकारिता के लिए समर्पित एक अनुभवी व जिम्मेदार पत्रकार के रूप में कार्यरत हूँ।

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