राज्योत्सव में उपेक्षित आदिवासी समाज -प्रशासन पर पक्षपात का आरोप, आंदोलन की दी चेतावनी
25 साल बाद भी वंचित आदिवासी समाज! बसंत कुजूर बोले - जल, जंगल, जमीन पर अब भी नहीं मिला हक

बलरामपुर,छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस 25 साल पुरा होने पर रजत जयंती महोत्सव के अवसर पर एक ओर पूरे प्रदेश में उत्सव का माहौल है,वहीं दूसरी ओर बलरामपुर आदिवासी समाज ने शासन-प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाया है, बलरामपुर जिले के छतीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष बसंत कुजूर जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा की राज्य गठन के 25 वर्ष पुरा होने के बाद भी आदिवासी समाज अपने मूल अधिकारों और बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।श्री कुजुर ने कहा कि राज्य स्थापना के बाद भी जल जंगल जमीन और आरक्षण जैसे मूल अधिकारों पर आदिवासी समाज का वास्तविक विकास नहीं हो सका है, बलरामपुर सहित पूरे प्रदेश में आदिवासियों की जमीन पर लगातार बाहरी लोगों द्वारा कब्जा और अतिक्रमण की शिकायतें मिल रही हैं, लेकिन प्रशासन इस पर मौन है श्री कुजूर ने जिला प्रशासन और सहायक आयुक्त जनजाति विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि.जिला बलरामपुर आदिवासी बहुल जिला होने के बावजूद जिला स्तर पर आयोजित राज्योत्सव कार्यक्रम में आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों को आमंत्रित करना उचित नहीं समझे और प्रशासन ने आदिवासी संस्कृति को केवल नाच-गाने तक सीमित कर दिया है.उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज किसी विशेष सुविधा की मांग नहीं करता बल्कि केवल अपने मूल अधिकार आरक्षण, जल.जंगल,जमीन, स्वास्थ्य, शिक्षा और संरक्षण की मांग करता है. उन्होंने सरकार से अपील की है की केवल महोत्सव मनाने से नहीं, बल्कि धरातल पर विकास कार्यों को लागू कर आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार लाया जाए.छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष ने जिला प्रशासन के इस रवैये की घोर निंदा करते हुए चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन आदिवासी समाज की अनदेखी जारी रखता है तो आंदोलन किया जाएगा।

Live Cricket Info





